'उसे याद है चांट के पत्ते और मेले की जलेबी, कंचो की लकीरें, गुल्ली डंडा के गड्ढे।' अखाड़े की कुश्ती,... 'उसे याद है चांट के पत्ते और मेले की जलेबी, कंचो की लकीरें, गुल्ली डंडा के गड्ढे...
कैसे भूल जाऊँ उन यादों को, जो बीत गई बचपन में! कैसे भूल जाऊँ उन यादों को, जो बीत गई बचपन में!
खूब लगा लिए तूने खाने के लिए चक्कर, दिमाग को ठंढा करके सोच ज़रा घनचक्कर। खूब लगा लिए तूने खाने के लिए चक्कर, दिमाग को ठंढा करके सोच ज़रा घनचक्कर।
गुरुजी का सीना पुलकित हो गया। उनका मेहनत वसूल हो गया। गुरुजी का सीना पुलकित हो गया। उनका मेहनत वसूल हो गया।
गिल्ली बनकर वोट का डण्डा नचायेगा नेता को समझा जन-जन ! गिल्ली बनकर वोट का डण्डा नचायेगा नेता को समझा जन-जन !
बिना स्कूल जाए दोपहर को वहीं बैठता कब एक बेर गिरे तांक-झांक करता रहता बिना स्कूल जाए दोपहर को वहीं बैठता कब एक बेर गिरे तांक-झांक करता रहता